प्रेरणादायक कहानियां
राजा ने कहा – ” चिंता की कोई बात नहीं! डाकुओं से तो हम बाद में निपट लेंगे |अभी तो तुम बारात सजा कर ले आओ |”
इस प्रकार खूबचंद दूल्हा बनकर राजमहल में पहुंचा राजकुमारी ने उसे माला पहनाई | खूबचंद हैरत से चारों ओर हैरान होकर देख रहा था |
राजा ने लोमड़ी से पूछा – ” तुम्हारे मालिक इस प्रकार हैरान होकर चीजों को क्यों देख रहे हैं | कुछ बोल भी नहीं रहे हैं | क्या बात है |”
लोमड़ी बोली -” महाराज! मेरे मालिक को सामान खोने तथा डाकुओं से अपमानित होने का बहुत दु:ख है | इसी कारण वे कुछ बोल नहीं रहे हैं |”
विवाह संपन्न हुआ | सात दिन तक जश्न मनाया गया | जब विदाई का समय आया तो लोमड़ी बोली – ” आगे-आगे मैं चलती हूं | आप पीछे-पीछे से डोली भेजिए |”
रास्ते में बहुत जानवर चर रहे थे | लोमड़ी ने पूछा – ” यह किसके जानवर हैं |”
चरवाहे ने कहा – ” यह तो हमारे शाह जी के जानवर हैं |” लोमड़ी चेतावनी देते हुए बोली – ” अरे ऐसा कभी मत कहना! शाहजी से महाराज बहुत नाराज हैं, वे फौज लेकर उसे बंदी बनाने आ रहे हैं | कोई पूछे तो कह देना – कि यह जानवर खूबचंद की हैं | तभी बच पाओगे |”
आगे जाने पर हरे-हरे खेत नजर आए | लोमड़ी ने पूछा – ” यह खेत किसके हैं |”
किसान ने कहा – ” यह हमारे शाह जी की जमीदारी है |” लोमड़ी ने कहा – ” नहीं! नहीं ऐसा मत कहना | पीछे महाराज की फौज आ रही है | शाह जी को बंदी बनाने के लिए, तुमसे कोई पूछे तो कह देना -कि यह खेत खूबचंद के हैं | तभी तुम बच पाओगे, वरना तुम भी मारे जाओगे |”
इसके बाद लोमड़ी शाह जी के महल की ओर चल दी | वह शाह जी को चेतावनी देते हुए बोली – ” शाहजी!अपनी खैर चाहते हो तो, यहां से बाहर निकलो, महाराज! की फौज तुम्हें बंदी बनाने आ रही है |”